जफर खान को भी यही डर था, कही गीता मेरी पत्नी के कान ना भर दे, कही मेरे बारे में ना बता दे। जफर खान और नफ़ीज़ा खान दोनों संबंध (Relationship) में थे। पर नफ़ीज़ा और ज़फर खान दोनों एक दूसरे के सामने ऐसे बात करते थे मानो एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हो।
दूसरी ओर आरती और गीता दोनो को एक-दूसरे के साथ वक़्त बिताना बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था।
जिस दिन गीता आपने ऑफिस जाती थी उस दिन आरती का पूरे दिन बैचैन रहता और किसी काम में जी नहीं लगता था।
वो दोनों एक दूसरे को काफी हद तक पसन्द करते थे। उन दिनों आरती गीता को ऑफिस बाले नंबर से कॉल करके बात कर लेती थी इसलिए जो वक़्त कमरे में काट लिया करते थे वो बेहद ही खास हुआ करते थे। आरती गीता का बहुत ख्याल और बहुत ज्यादा ध्यान रखती थी, समय से खाना पीना यहाँ तक उसकी बेटी का भी और गीता के बीमार पड़ने पे भी हद से ज्यादा ख्याल रखना। उन दोनों को देख कर ऐसा लगता था वो दोनों बहनें है। नफ़ीजा उन दोनों की खुशियों में जहर घोलने में देर नहीं करती थी। हमेशा रंग में भंग डालने आ जाती थी।
गीता और आरती जानते थे की नफ़ीज़ा हम दोनों की दोस्ती से जलती है तब इन दोनों ने एक नया तरीका निकाला कि हम नफ़ीज़ा के सामने बात नहीं करेंगे। फिर भी नफ़ीज़ा अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही थी।
उस फ्लैट(Apartment) में हर रोज एक नई बात सुनकर मिलती थी। इन दोनों (गीता और आरती) की जिंदगी मानो बेरंग हो गई थी।
गीता का मन भी रूम में आने को नहीं करता था। पर गीता भी क्या कर सकती थी गीता भी मजबूरी थी। गीता भी एक नन्ही सी बेटी (18 महीने) को जो देखभाल करने वाली (Care Taker) महिला के पास छोड़ आती थी। नफ़ीज़ा खान डबल–गेम (Double games) खेल रही थी। उसको ये लगता था गीता और आरती पागल के साथ-2 मुर्ख है। नफ़ीज़ा ये नहीं पता है। वो खुद कितनी मूर्ख है।
गीता और आरती को उसकी हरकतों और सारी घटिया योजनाओं के बारे में पता चल गया है। पर वो दोनों गीता और आरती नफ़ीज़ा के सामने दिखावा कर रही थी कि मानो हमें कुछ पता नहीं है। नफ़ीज़ा जो देखभाल करने वाली (Care Taker) महिला को भी अपनी इस घटिया योजना में घसीट मतलब शामिल कर रही थी।
पर नफ़ीज़ा खुद को उभारने करने के लिए इतना नीचे कैसे गिर सकती है। उसकी हरकतें और चाल-चलन कैसा है। ये सब को पता था पर कोई उसके मुंह पे नहीं बोलना चाहता था।
वे दोनों गीता और आरती खाली समय पर अपनी बेटी या फिर अपनी ही दुनिया में ही मग्न रहती थी एक दिन की बात थी नफ़ीज़ा खान संध्या के समय गीता के कमरे आई वही पे दोनों आरती और जफर भी पहले से मौजूद थे।
गीता और आरती म्यूजिक स्पीकर ब्लूटूथ (Music Speaker Bluetooth) पे पहाड़ी गीत लगाये अपनी बेटियों के साथ नाच रही थी।
फिर उस दौरान नफ़ीज़ा फटाफट अपने मोबाइल फ़ोन
निकला और तस्वीरें, वीडियो बनाने ही वाली थी, तो एक दम
जफर उधर से जोर-2 से चीख पडा और नफ़ीज़ा को अपनी भाषा में ना
जाने क्या-क्या बोल दिया।
फिर नफ़ीज़ा चुप-चाप सुनती रही और बिना कुछ कहे वहां से चली गई। जिस पर दोनों के बीच आरती की अपने पति जफर खान कहासुनी हो गई। ये सब सुनकर गीता ने आपति जताई और कारण पूछने लगी क्यों नफ़ीज़ा को तस्वीरें खींचने, वीडियो बनाने से रोका. और आरती ने भी जफर से कहा ये तुम्हारी गलती है,
क्यों इतने गुस्से से नफ़ीज़ा पर चिलाये, सुनो तुम अगली सुबह नफ़ीज़ा दीदी से माफ़ी मांगना गुस्से से आरती ने अपने पति जफर को बोला। जैसे-2 दिन निकलते गए। नफ़ीज़ा अपनी हरकतों से पीछे नहीं हट रही। कभी जफर के माता- पिता को फ़ोन करके उनके कान भर रही थी।
तो कभी आरती को जफर के बारे में, गीता के बारे, तो कभी गीता के पास आरती और जफर के बारे में कान भर रही थी यानि अपने मन से झूठ की बातें बनाने के अलावा उसके पास कोई काम नहीं था। गीता और आरती इन बातों सब को नजरअंदाज कर रही थी। रविवार के दिन गीता की भी छुट्टी थी। आरती और गीता ने भी जल्दी से अपना-अपना काम ख़त्म किया और दोनों सहेली बात करना शुरू कर दी बातों ही बातों पे साडी पहनने का विचार कहां से आ गया। आरती ने गीता से बोला मैंने कभी साड़ी नहीं पहनी है मुझे पहना दो प्लीज गीता ने बोला ठीक है। पता नहीं नफ़ीज़ा कहा से टपक पड़ी। गीता और आरती दोनों ने धीरे से एक दूसरे के साथ बोला आ गई रंग में भंग डालने मुँह में गुनगुनाते हुऐ बोला। नफ़ीज़ा मन ही मन जल कर राख हो रही थी क्योंकि हम दोनों खुशी में झूम रहे थे। 2/3 मिनट के बाद वो वहां से निकल गई। आरती ने साडी पहन ही ली थी।
दूसरी ओर नफीसा ने अपनी सासु-माँ (Mother in low) के कान भर दिये। नफ़ीज़ा की सासु-माँ में एक बुराई है, वो थोड़ा कान की कच्ची है। जल्दी ही अपनी बहू की बात आ गई। और जोर-जोर से चिल्लाने लगी उसके चिल्लाने की आवाज आरती के कमरे के अंदर आ रही थी और नफ़ीज़ा की सासु-माँ ने देखा कि आरती और गीता दरवाजा बंद है। पता नी दोनों अन्दर क्या कर रही है।
फिर नफ़ीज़ा की सास ने अपनी बहू को वही डांटना शुरू कर दिया। उस समय नफ़ीज़ा की सास गुस्सैल रूप देखने को मिला और ना जाने कितने अपशब्दों (abusive/abuse language) की बारिश कर दी। ये सुन कर आरती के पति ज़फर खान ने भी कुछ नहीं बोला, वो चुप-चाप कैसे सुन रहा था। पर अफसोस इस ही बात का था। 2 मिनट के अन्दर ही गीता के मन में भी हजारों प्रश्नों ने जन्म ले लिया था।
आखिरकार क्या बुराई है साड़ी पहने लेती तो वैसे भी वो कौन होती है हमें ऐसा बोलने वाली चाहे कमरा बंद करे या फिर ना, नाना प्रकार से सवाल गीता भी अपने मन से ही पूछे जा रही थी।
आरती की आँखों से भी अश्को की धारा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। जब आरती शांत हुई वो नफ़ीज़ा की सासू माँ और ससुर(Father in low) से पूछा एन्टी जी और अंकल जी (Anti ji & Uncle ji) अगर आपको कोई गिला शिकवा था तो ऊपर बुलाकर बोल देते, ऐसे अपशब्द क्यों बोले, अंकल जी ने हाथ जोड़ के बोला बेटा तेरी एन्टी को बोलने का पता नहीं चलता
मुझे माफ़ कर दो और एन्टी को भी माफ़ी मांगने को वोला, आरती से क्षमा याचना मांगी। फिर भी दिल को वो सुकून-चैन नहीं पा रहा था। आरती बापिस अपने कमरे में आने लगीं और सीढ़ियों पे उतरते समय सोच लिया, मैं ये कमरा छोड़ के चली जाऊंगी। आरती ने अपने पति जफर खान को बोला 10/02/2021 को ये कमरा खाली करना है। और उधर से हाँ में हाँ मिलाते बोल दिया पर जफर ये कमरा छोड़ के जाना नहीं जाना चाहता था। गीता को इतना गुस्सा था,कि वो नफ़ीज़ा के परिवार से बात तक भी नहीं कर रही थी।
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