आज तक कोई पूर्णरूप से किसान की या ईश्वर की व्याख्या नहीं कर पाया है…..
किसानों की इस आवाज का कुछ विशेष राजनितिक दल राजनीतिकरण कर रहे हैं, अपनी राजनितिक रोटियां सेंकने में मशगूल ये दल शायद ये भूल गए हैं की इस देश का अस्तित्व ही किसानी से है और उनसे गद्दारी सही नहीं है ।
खैर ! कुछ शब्द हैं जो मैंने किसानों की मनोदशा को समझाने के लिए संजोये हैं ,
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वाह रे,
दुनिया वालो हम तेरी सोच को सलाम करते है,
जो कल तक किसान को भगवान मानते थे,
आज वहीं लोग भगवान को सड़कों पे लाकर खड़ा कर दिया…..
भगवान का घोर –अपमान हो रहा है
अब ये कैसा घोर – अनर्थ,
कैसा घोर - कलियुग आ गया,
किसानों के सर पर कितना बड़ा तूफान आ गया है
ये जो किसान सड़कों पे हैं
उन सब ने मिट्ठी की क़सम खाई है
और खेतों से वादा किया है कि अब
जीत होगी तभी लौट कर आएंगे,
अब जो तानाशाह आ ही गए हैं तो यह भी सुनो,
हम किसान झूठे वादों से ये टलने वाले नहीं है,
तुम से पहले भी कई तानाशाह आए थे
उन्होंने भी बहुत कोशिश की सारे खेतों का कुंदन,
बिना दाम के अपने उस्ताद के नाम गिरवी रखें,
हम किसानो ने जो पनाह दी और
हम किसानो ने तुम्हे जो गद्दी पे बैठाया तो,
तुम ने सोचा की तुम यहाँ के राजा हो,
तुम को किस ने ये हक़ दिया,
कि हम किसानो की खून - पसीने की कमाई और मेहनत से हम किसानो की क़िस्मत लिखो,
और लिखते रहो.........
जो कल तक किसान देवता, किसान भगवान है
और उस भगवान को अपने खेतों के मंदिर की दहलीज़ को छोड़ कर
आज सड़कों पे लाकर खड़ा कर दिया….
सर-ब-कफ़, अपने हाथों में परचम लिए
सारी तहज़ीब-ए-इंसान का वारिस है जो
आज सड़कों पे लाकर खड़ा कर दिया
हाकिमों जान लो। तानाशाहों सुनो
अपनी क़िस्मत लिखेगा वो सड़कों पे अब
काले क़ानून का जो कफ़न लाए हो
धज्जियाँ उस की बिखरी हैं चारों तरफ़
इन्हीं टुकड़ों को रंग कर धनक रंग में
आने वाले जमाने का इतिहास भी
शाहराहों पे ही अब लिखा जाएगा।
तुम ने उस भगवान को आज सड़कों पे लाकर खड़ा कर दिया..अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आई है तो आप कमेंट करके बता सकते है आप हमारी पोस्ट अपने दोस्तों से भी शेयर कर सकते है और शेयर करके अपने दोस्तों को भी इसके बारे में बता सकते है | हम फिर नई कविता लेकर हाज़िर होंगे तब तक के लिए नमस्कार दोस्तों ! आपका दिन मंगलमय हो |