सोचती हूँ मैं शायद मुझ में ही कुछ कमी रह गई होगी……
या फिर जैसे मैंने सोचा था वैसे आप नहीं निकले,
नहीं समझ पाई तो समझा दिया होता,
शिकायत थी आपको मेरे से तो मुझे बताया क्यों नहीं,
या फिर आपको दूर जाने का बहाना
या फिर आप कान के कच्चे थे, जो दूसरों की बातों में आ गऐ........
अगर सच आप दूसरों की बातों में नहीं आए या फिर
आपके प्यार के आगे हमारी दोस्ती छोटी हो गई……
5/6 सालो में साथ में काम करते मुझे समझ नहीं पाए या फिर
जो आप मेरी जितनी इज्जत करते थे वो दिखावा है औरो की तरह,
या फिर मैंने ही आपको समझने में गलती कर दी…..
सोचती हूँ मैं शायद मुझ में ही कुछ कमी रह गई होगी……
अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आई है तो आप कमेंट करके बता सकते है आप हमारी पोस्ट अपने दोस्तों से भी शेयर कर सकते है और शेयर करके अपने दोस्तों को भी इसके बारे में बता सकते है | हम फिर नई कविता लेकर हाज़िर होंगे तब तक के लिए नमस्कार दोस्तों ! आपका दिन मंगलमय हो |
No comments:
Post a Comment