Wednesday, March 3, 2021

तुम्हे धोखेबाज कहूं

तुम्हे धोखेबाज कहूं या किस्मत की लकीरो  का लेखा,

इस किस्मत की लकीरो के धोखे ने दिल चीर कर रख दिया,

जिसके आने से अफसाने वजूद हुआ करते थे,

जिसकी आंखों में जुगनुओं सी चमक हुआ करती थी,

उसके चेहरे की मुस्कुराहट को देख कर ना कोई ऐसी खबर थी,

 ना कभी ऐसा कोई ऐतबार था, कि जीवन में भी मुझे कभी ऐसा कोई दर्द भी मिल सकता है,

 तकदीर से धोखा खाने पर, इस जमाने में दर्द के बहुत रंगो को बदलते मैंने देखा  है,                        

मेरे जीवन ने अब दर्द ही सहारा है ,तुम से धोखा खाने पर, फिर भी

यादों में बसी है वो मेरी नन्ही सी कलि अपनी मुस्कान लिए बांहों को पसारे मानो

आज भी साथ ही है वो मेरे दिल में,

ना माने क्या करूं, ना समझे है कितना भी समझाने से

ऐसे बड़े धोखे तकदीर के खाने से………

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