1. कभी तो मुझे जाना होता क्यूँ रोती हूँ मै, कभी तो देखा होगा मुझे क्यूँ बैचन रहती हूँ, मै, कभी तो सोचा ही नहीं क्यूँ दुखी रहती हूँ, मै, कभी तो महसूस किया होता क्यूँ तेरी कमी महसूस करती हूँ मै, क्यों ना समझ पाई जरूरत तुम्हे नही शायद मुझे हैं तुम्हारी.!!!
निःशब्द नहीं,
आवाज़ है बस बोलती नहीं,
जज़्बात हैं पर दिखती नहीं,
चाहत है पर किसी से उम्मीद रखती नहीं,
पहल ना करूं पर किसी से डरती नहीं,
जीत की चाह नहीं पर हार मानती नहीं,
आईना हूँ पर बिखरती नहीं,
दर्द से भरी हूँ मैं पर जीना छोड़ती नहीं
शान्त हूँ निःशब्द नहीं
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